Self Identity and the Spirit of Karma Yoga
Transcription of my speech at the International Conference on Identity Studies, Vienna. The talk was delivered on July 28, 2014. You just heard my name being called – Ranjan Kumar Singh from Takshila Educational Society, India. Yes, it is true that I am Ranjan – Ranjan Kumar Singh; but is that all I am? Does […]
Ishopnishad (ईशोपनिषद)
ओम ईश वास्यम इदं सर्वं यत किम च जगत्यां जगततेन त्यक्तेन भुन्जिथा मा गृधः कस्य स्विद धनं |१| इस गतिशील जगत में जो कुछ भी सचल है, वह ईश्वर के वस्त्रों से ढका हुआ है. यानी उन सबपर ईश्वर का ही आधिपत्य है. जिसे हम अपना मान कर बैठे हैं, वह भी दरअसल उसी का […]