बचपन का काबुलीवाला रह-रह कर याद हो आता है
रंजन कुमार सिंह बचपन में जब कभी काबुलीबाला आता था हमारी गली में तो मैं डर कर छिप रहता था घर के भीतर। किसी ने हमें बता दिया था कि ये जो पोटली लेकर घूमते हैं अपनी लंबी बाहों के बीच उसी में बाँध कर ले जाते हैं छोटे बच्चों को। दूर से ही हमें […]
Conflict and Confluence of Faith
This is the text of my talk at the International Conference on the Importance of Early Indian Cultural Heritage in the Making of a Better World organized jointly by the Indian Museum, Kolkata and the North American Institute of Oriental and Classical Studies, USA. The text follows: कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी […]