Ishopnishad (ईशोपनिषद)

ओम ईश वास्यम इदं सर्वं यत किम च जगत्यां जगततेन त्यक्तेन भुन्जिथा मा गृधः कस्य स्विद धनं |१| इस गतिशील जगत में जो कुछ भी सचल है, वह ईश्वर के वस्त्रों से ढका हुआ है. यानी उन सबपर ईश्वर का ही आधिपत्य है. जिसे हम अपना मान कर बैठे हैं, वह भी दरअसल उसी का […]