बचपन का काबुलीवाला रह-रह कर याद हो आता है

रंजन कुमार सिंह बचपन में जब कभी काबुलीबाला आता था हमारी गली में तो मैं डर कर छिप रहता था घर के भीतर। किसी ने हमें बता दिया था कि ये जो पोटली लेकर घूमते हैं अपनी लंबी बाहों के बीच उसी में बाँध कर ले जाते हैं छोटे बच्चों को। दूर से ही हमें […]