ओम ईश वास्यम इदं सर्वं यत किम च जगत्यां जगत
तेन त्यक्तेन भुन्जिथा मा गृधः कस्य स्विद धनं |१|
इस गतिशील जगत में जो कुछ भी सचल है, वह ईश्वर के वस्त्रों से ढका हुआ है. यानी उन सबपर ईश्वर का ही आधिपत्य है. जिसे हम अपना मान कर बैठे हैं, वह भी दरअसल उसी का है क्योंकि स्वयं हम, जो इस गोचर जगत के ही अंग हैं, उसी के अधीन हैं. अतः उन सबको छोड़ देने में ही हमारा कल्याण है. वैसे भी जो दूसरे का है, उसके प्रति आकर्षण क्यों? इसलिए दूसरे के धन के लिए लालच मत करो.
This Universe, together with its substance, is covered under Ishwara’s attire, meaning thereby, it all belongs to him and Him alone. In fact we too, who are part and parcel of this Universe, belong to Him. Thus it is better to renounce the things that we perceive as our’s because in reality it all is His. Should we covet what does not belong to us? So let us not desire for other’s wealth.
कुर्वन एव इह कर्माणि जिजीविषेत शतगम समाः
एवं त्वयि नान्यथा इतः अस्ति न कर्म लिप्यते नरे |२|
यदि हम शतायु होना चाहते हैं तो हमे उसके लिए काम भी करना पड़ेगा. निश्चय ही जो हमारा नहीं है, हमे उसे अपने काम से अर्जित करना पड़ता है. ऐसे में काम करने के अलावा हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं है. हाँ, यह काम कुछ ऐसा हों, जो हमें मुक्त कर सके, ना कि दास बना ले. यदि हम हर समय काम में ही लिपटे रहेंगे तो फिर आनद कैसा? ऐसे में आवश्यक है कि हम निर्लिप्त भाव से काम करें क्योंकि तभी वह हमें नहीं बाँध पाता है.
In case we want to live for a hundred years, we must work. Even if we do not possess anything, we can surely earn it through our endeavor. Thus there is no substitute for work. Yet, the work should be such that liberates us and not enslave us. Can we enjoy if we remain entangled in the work? Thus it is imperative that we carry on with our work without clinging to it since this would not bind us.
असूर्या नाम ते लोकाः अन्धेन तमसा आवृताः
तागम्स्ते प्रेत्य अभिगछन्ति ये के च आत्महनो जनाः |३|
जो काम नहीं करते और दूसरों के धन पर नज़र रखते हैं, वे खुद ही अपने आपको मार डालते हैं. हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना आत्महत्या से कम नहीं. ऐसे लोग मरने के बाद सीधे उस लोक में जा पहुँचते हैं, जहाँ गहरा अन्धकार है क्योंकि वहां सूर्य ही नहीं. वास्तव में जो काम से मुँह चुराते हैं, उनके सामने भविष्य का अन्धकार ही होता है.
Those who do not work and covet the wealth of others, kill their own self. To lead an idle life is as good as suicide. Hereafter such people go to the world, where there is no sun and which is engulfed in blinding darkness. It is but true that those who shy away from work are faced with gloomy future.
very good attempt for all knowing English and Hindi
Thanks. This encourages and inspires me to complete the job.