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अमेरिका के शोध संस्थान प्यू रिसर्च सेंटर ने सर्वेक्षण कराया, जिसमें दुनिया भर के 17 देशों के नागरिकों से एक ही सवाल पूछा गया, अपने जीवन के किस पक्ष को आप अर्थपूर्ण मानते हैं। यानी कौन सी बात आपको संतुष्टि देती है तथा आपके जीवन को सार्थक एवं परिपूर्ण बनाती है। इस सर्वेक्षण में अमेरिका के अलावा कनाडा, फ्रांस, ग्रीस (यूनान), जापान, न्यूजिलैंड, दक्षिण कोरिया, ताइवान आदि देशों के नागरिकों को शामिल किया गया। इस सर्वेक्षण में जो बात छन कर आई, वह हमें हैरान कर सकती है। इन सभी देशों में अधिकतर लोग धर्म को जीवन की अर्थवत्ता से जोड़ कर नहीं देखते हैं। उनके लिए परिवार या अन्य सामाजिक संस्थानों का महत्व धर्म से कहीं बढ़कर था। यहां तक कि उनके लिए उनकी नौकरियां भी कोई खास मायने नहीं रखती थीं।

फ्रांस, स्वीडेन, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया एवं जापान में तो मात्र एक फीसदी लोग ही धर्म को जीवन की अर्थवत्ता से जोड़नेवाले थे, जबकि उन देशों में प्रकृति का स्थान उनके नागरिकों के जीवन में कहीं बहुत ऊंचा था। न्यूजिलैंड के एक बच्चे का कथन गौर करने लायक है। उसका कहना था, मुझे बाहर जाना पसन्द है। मैं हर दिन दौड़ने के लिए निकल जाता हूं। मुझे नीला आसमान, वन एवं लोग-बाग को देखना अच्छा लगता है और इसका मेरे मानसिक स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आश्चर्य नहीं कि न्यूजिलैंड में प्रकृति का स्थान लोगों की जिन्दगी में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

मार्के की बात यह कि इन सभी देशों के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं, सामाजिक सुरक्षा, बेहतर अर्थव्यवस्था, जन सुविधाओं, जन यातायात, तथा शिक्षा व्यवस्था का स्थान धर्म से कहीं ऊंचा है। कहने की जरूरत नहीं कि ये सभी देश उन्नत हैं और धर्म से ऊंचा उठकर ही अपना यह स्थान बना सके हैं। वेतन से जुड़ा काम या नौकरी भी उनके जीवन में एक हद तक ही मायने रखती है। बेल्जियम की किसी महिला ने कहा, मैं कोई धनाढ्य नहीं हूं। बस इतना ही कमाती हूं कि अच्छे से रह सकूं। खुश रहने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं। मैं जानती हूं कि जीने के लिए पैसा जरूरी है पर पैसे के लिए जीना फिजूल है।

और इसीलिए उन देशों के नागरिकों की जिन्दगी में उनके शौक, खेल-कूद, पर्यटन, सिखना-सिखाना, सामाजिक सेवा आदि का खास महत्व है। नागरिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे की नहीं, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं तथा बेहतर शिक्षा व्यवस्था की जरूरत होती है। लोकतंत्र में सरकारों का दायित्व लोगों के लिए नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का होता है। जिन देशो के लोगों ने तथा जिन लोगों की सरकारों ने यह बात समझी, वही आज उन्नत हैं।

हम अपने देश को किस ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने जीवन में किसका महत्व अधिक समझते हैं।

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2 Comments

  1. Yes health and education is far more important than religion. But religion is part of our culture and gives us spiritual happiness which is qualitatively far better than material happiness. The material happiness is primarily quantitative and inferior to spiritual happiness. The point I am making is that you have to be firmly rooted to your culture and religion is integral part of the cultural. So you can’t be dismissive of the religion.

  2. आलेख सुंदर! पठनीय!
    भारत नागरिक सुविधाएँ देने में अभी पायदान पर है. ऐसे में शिक्षित वर्ग का एक बड़ा अंश आज भी ईश्वर पर भरोसा कर के कदम बढ़ाता है. फिर भारत में जनसंख्या विस्फोट भी तो राम रहीम के नाम पर होता है. ऐसे में नागरिक सुविधाएँ, शिक्षा, चिकित्सा और पर्यावरण चुनावी मुद्दे बन ही नहीं सकते. क्या इन मुद्दों पर हम चुनाव लड़ कर जीत सकते हैं?

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