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रंजन कुमार सिंह

अगर आपकी उम्र साढ़े सत्रह साल है तो आप अग्निपथ पर चलने के लिए तैयार हैं। अग्निपथ यानी भारत सरकार की नई सेना भर्ती योजना जिसे वह क्रांतिकारी बदलाव कहकर प्रचारित कर रही है। सरकार का दावा है कि इससे एक ओर जहां देश के युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सकेगा, वहीं सेना में नई जवानी भी आएगी। कहने का मतलब यह कि अग्निपथ योजना युवाओं और फौज, दोनों के लिए ही फायदे का सौदा है। अंग्रेजी में इसे विन-विन सिचुएशन कहते हैं।

हालांकि इसे सौदा कहना गलत होगा क्योंकि सरकार इसे एक ऐसा अवसर बता रही है, जिसमें युवाओं को देश की सेवा करने तथा राष्ट्र निर्माण में भागीदार होने का मौका मिलेगा। और बात जब देश की हो और मौका देशभक्ति का जज्बा दिखाने का हो तो वहां किसी तरह का सौदा हो ही नहीं सकता। हालांकि जो युवा फौज में भर्ती को अपनी आजीविका से जोड़कर देखते हैं, उन्हें इसमें अपना कोई भविष्य नहीं नजर आ रहा। और इसीलिए यह योजना उनके गले नहीं उतर रही और सरकार के गले की हड्डी बन गई है।

पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह योजना क्या है और फिर यह जानते हैं कि इसे लेकर युवाओं की परेशानी क्या है। 14 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि एक परिवर्तनकारी सुधार के तहत कैबिनेट ने सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना को मंजूरी दी। इसमें आगे बताया गया कि योजना के तहत इस साल 46,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। तीन सेनाओं में लागू जोखिम और कठिनाई भत्ते के साथ उन्हें आकर्षक मासिक पैकेज दिया जाएगा। चार साल की कार्यावधि पूरी होने पर अग्निवीरों को एकमुश्त ‘सेवा निधि’ पैकेज का भुगतान भी किया जाएगा। साथ में, इससे सशस्त्र बलों की युवा, स्वस्थ तथा विविधतापूर्ण पहचान बनेगी, जिससे वह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होगा।

विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि अग्निवीरों का कार्यकाल चार साल का होगा और इस दौरान उन्हें विभिन्न सैन्य कौशल, अनुशासन, नेतृत्व गुण, देश प्रेम और साहस के पाठ पढ़ाए जाएंगे और उन्हें अनुभव तथा शारीरिक स्वास्थ का लाभ मिलेगा। इस दौरान उन्हें पहले साल 30 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगें जो हर साल बढ़ता जाएगा और चौथे साल में जाकर यह 40 हजार रुपये प्रति माह हो जाएंगे। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि इसमें से कुछ राशि काटकर अग्निवीर कॉर्पस फंड में डाले जाएंगे और उनके अंशदान के बराबर की राशि सरकार भी उनके अग्निवीर कॉर्पस फंड में डालेगी। इस तरह जब उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होगा, हरेक अग्निवीर के फंड में लगभग 11.71 लाख की कुल राशि जमा होगी जो उन्हें एकमुश्त दे दी जाएगी। यह राशि आयकर के दायरे से बाहर होगी।

अब प्रश्न उठता है कि इतने फायदे के बाद भी युवा सशंकित क्यों हैं? इसके लिए हमें अग्निवीर योजना के तहत बहाली के नियम एवं शर्तें जानने होंगे। यह योजना देश के साढ़े सत्रह साल से लेकर 21 साल के युवाओं के लिए है। हां, इस योजना के खिलाफ युवाओं का आक्रोश देखकर इसे 23 साल तक के युवाओं के लिए कर दिया गया है। पर साथ ही यह स्पष्ट भी किया गया है कि आयु में छूट केवल पहले साल ही दी जाएगी, बाद के सालों में नहीं। हालांकि युवाओं का विरोध आयु को लेकर नहीं है। उनके विरोध को समझने के लिए अग्निपथ के नियमों एवं शर्तों को जानना जरूरी है।

नियम एवं शर्तों में स्पष्ट कर दिया है कि सशस्त्र बलों में उनका पद सेना के सामान्य पदों से भिन्न होगा। यानी फौज में रहकर भी वे फौज की परंपरागत व्यवस्था का अंग नहीं होंगे। ऐसा करने की जरूरत इस कारण से हुई क्योंकि इन अग्निवीरों के लिए उनकी कार्य अवधि की समाप्ति के बाद ग्रेचुएटी और पेंशन का प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि वन रैंक-वन पेशन के तहत तो उसे भी उस सब का हक हासिल हो रहेगा, जो किसी जवान को मिलता है।

चूंकि यह बहाली मात्र चार साल के लिए है इसलिए भी युवाओं को इसमें अपना भविष्य नहीं नजर आ रहा। एक तरह से देखा जाए तो यह भर्ती किसी निविदा भर्ती या अनुबंध भर्ती की तरह ही है, जिसे लेकर यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि खुद फौज के लिए यह कितना सही है? जाहिर है कि फौज की ताकत रेजिमेंट सा जुड़ा फौजियों का गौरव है और जब अग्रनिवीर रूपी नया रंगरूट खुद के साथ भेदभाव होता देखेगा और उसके साथ दूसरे जवानों की तरह बर्ताव नहीं होगा तब जाहिर तौर पर उसे न अपनी रेजिमेंट को लोकर गौरव होगा और ना ही फौज को लेकर।

वैसे योजना में यह प्रावधान है कि हरेक बैच में 25 फीसदी तक को फौज की सामान्य बहाली में मौका दिया जा सके। इसके लिए उन्हें नया आवेदन करना होगा और चार साल के उनके कार्यकाल को देखते हुए उन्हें सेना में नियमित तौर पर बहाल कर लिया जाएगा। कहीं तब जाकर उन्हें वह सारी सुविधाएं हासिल हो सकेंगी जो फौज के एनसीओ या जीसीओ को मिलती हैं। यदि कहीं जो वह इन 25 फीसदी में आने से रह गया तो आजीविका के लिए उसका जद्दोजहद जारी रहेगा। 21 साल का युवा चार साल की नौकरी के बाद खुद के लिए स्थायित्व चाहता है ताकि वह निश्चिंत होकर अपना घर और परिवार जमा सके।

हालांकि युवाओं के विरोध के बाद गृह मंत्रालय से लेकर कई राज्य सरकारों तक ने ऐलान किया है कि वे अपनी भर्तियों में इन अग्निवीरों के लिए आरक्षण व्यवस्था लाएंगे या फिर चयन प्रक्रिया में उन्हें प्राथमिकता देंगे, पर सच तो यह है कि चाहे वह गृह मंत्रालय हो या फिर राज्य सरकारें, सभी जगह फिलहाल नियमित भर्तियां नहीं हो रही है और जो हो रही हैं वे इतनी कम हैं कि दिन-प्रति दिन बेरोजगार सेना में इजाफा ही होता जा रहा है। यहां यह याद रखना जरूरी है कि फौज और रेल तक में भर्तियों का सिलसिला टूट चुका है। युवाओं का गुस्सा इस बाबत भी है कि जिस फौज में जाने के लिए वे पिछले दो-चार सालों से मेहनत-मशक्कत कर रहे थे, उसमें वे अब सिर्फ चार साल के लिए होंगे और वह भी 46 हजार ही।

2014 में युवाओं ने नरेन्द्र मोदी पर भरोसा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह हर वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे। अब उनके शासन के आठ साल के बाद वह अपने सपनों को टूटता हुआ देख रहा है।

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