मत बदलो कैलेण्डर
यादें रहने दो ताज़ा
बीते ज़ख्मों कीकुछ करना ही है तो
डालो बीज
सीचों उसे अपने विश्वास से
करो हरा उसे अपनी आस्था से
देखो उसे सिक्त होकर बढ़ते
इस नमी और ऊष्मा सेहमारा चरित्र कैलेण्डर नहीं
जिसे हम रातों-रात बदल लें
यह तो एक बीज है
हरियाली की संभावनाओं को समेटे
उसी में समाया है नया
इस नए साल का!मत भूलो कि
तुम्हारे ही अंदर है
बीज, नमी और ऊष्मा.मत बदलो कैलेण्डर
क्योंकि कैलेण्डर के बदलने से
कुछ भी नहीं बदलता
सिर्फ गुजरता जाता है वक्त
जैसे का तैसा
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